Thursday 8 October 2015

मानव गलतियों का पुतला

Hi friends! Today, I'm posting a Hindi poem of mine , which  even brought me the first prize in 'Poetry recitation competition '  last year. I will soon be re-posting this poem with its translations in English, for my readers in other countries. :)
 

 

मानव गलतियों का पुतला


सोंचना मानव का काम है ,
और वह सोंच सोंच कर आम बातों का भी  अचार बना दिया करता  है।
 
 
दूर कहीं किसी भीड़  में, ऑफिस के काम से फंसा खड़ा परिवार ,
घर और गाडी की सोंच को  ज़रूर  उड़ान देता है।
 
 
कभी क़र्ज़ की, तो कभी कर्ज़दार की चिंता उसे खाया करती है ,
कभी अफसरों की डांट ,भरी महफ़िल में शर्मिंदा करती है।
 
 
यदि मानव  सोंचना शुरू कर दे , तो उसका दिमाग पूरे  विश्व की यात्रा कर लेता है ,
पर उसे इस दुनिया में लाने वालों की याद केवल फ़ोन पर ही आती है।
 
 
वे बुज़ुर्ग , जो अपनी पूरी ज़िन्दगी इस तुच्छ आदमी की परवरिश में गुज़ार देते हैं,
 पैरों में चप्पपल बिना चल कर , अपनी आदत बता हंसी में टाल दिया करते  हैं ;
उन्ही के चरणस्पर्श की बात को आज ये धुएं में क्यों उड़ा डालता है?
आदमी आज  माँ -बाप से  मिलने को ,
वक़्त जय करना क्यों बताता है?
 
 
कितना संघर्ष माँ-बाप करते , कितने परिश्रम से कमाते ;
स्वयं खाली पेट सोते , पर उस सुपुत्र को अपने हाथों से खिलाते।
 
 
पर ये कुपुत्र बने सुपुत्र उन बातों को अपने ज़हन में क्यों नहीं लाते  ?
क्यों बुढ़ापे में उनका साथ छोड़ कर ,उनको मृत्यु -दंड सा कष्ट पहुंचाते   ?
 
 
माना कि मानव सोंचने में कभी कंजूसी नहीं करता, फिर वो ये क्यों नहीं  सोंच पता;
कि समय खुद को है ज़रूर दोहराता।
 
आज तो वो बड़ों को वृद्धाश्रम छोड़ कर चिंता-मुक्त हो जायेगा;
फिर आने वाली पीढ़ी से शायद वो बदत्तर सलूक पायेगा।
 
 
फिर वह , उस वृद्धाश्रम में पड़े-पड़े ,अपने सोंच की कलम चलाएगा;
याद करेगा अपना अतीत , माँ-बाप का संघर्ष , अपना संघर्ष, अपनी संतान के लिए।
 
 
वह ये भी सोंच पछतायेगा, कि  - मानव गलतियों का पुतला है ,
और प्रायश्चित ही मुक्ति का एक ज़रिया  है।
 
 
वह ये सोंचते वक़्त स्वयं को किसी वृद्धाश्रम के कोने में पायेगा;
और अपनी सोंच की कलम की स्याही ख़त्म होने से पहले ,
मन के अंतहीन कोरे काग़ज़ पर एक छोटा  अक्षर 'माफ़ी ' , पूरा लिखने से पूर्व ही -
ईश्वर के पास चला जायेगा।
 
                                                         TC , and never stop dreaming, even in your dreams... !! <3